May 20, 2025

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कोरबा:रलिया मुआवजा मामले में करोड़ो का घोटाला..? प्रभावशाली लोगो के मुआवजे पर ब्रेक.? प्रभावितों ने की हड़ताल..

कोरबा/रलिया:-बहुचर्चित रलिया मुआवजा मामले में कुछ प्रभावितों के मुआवजे पर रोक लगने की बात सामने आ रही है।सूत्रों के हवाले से खबर है कि यहाँ कुछ प्रभावितों के मुआवजे को लेकर प्रशासन ने रोक लगा दी है, मुआवजा नही मिलने से नाराज प्रभावितों ने एसईसीएल के कार्यो में बाधा उत्पन्न करते हुए हड़ताल कर दी है।बताया जाता है कि जिन प्रभावितों के मुआवजे पर रोक लगाई गई है वे फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने की फिराक में थे। तत्कालीन तहसीलदार ने भी इनके मुआवजा को लेकर भौतिक सत्यापन की मांग की थी।बहरहाल प्रशासन मुआवजा मामले की जांच कर रहा है।

गौरतलब है कि गेवरा एसईसीएल कोल फील्ड लिमिटेड कंपनी के द्वारा खदान का विस्तार कर ग्राम रलिया में भुमि अधिग्रहण कर मुआवजा तय किया गया है।जहां ग्रामीणों की भूमि बॉडी मकान इत्यादि का सर्वे कर मुआवजा बनाया गया है।वही सर्वे में कुछ स्थानीय लोगो के द्वारा करोड़ो रूपये का मुआवजा हासिल करने शासकीय भूमि पर फर्जी तरीके से मकान निर्माण कर दिए गए।जब यह मामला मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगा,तो यह पूरा खेला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आया और मुआवजे मामले में जांच शुरू हुई,हालांकि अभी तक इस मामले में क्या जांच हुई है यह पूरी तरह से स्पष्ट नही है, लेकिन सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि जिन प्रभावितों को लेकर शिकायतों का दौर शुरू हुआ था,उनके मुआवजे पर शासन ने रोक लगा दी है।अब ये प्रभावित मुआवजा नही मिलने से बौखला गए हैं और एसईसीएल के कार्यों में बाधा उत्पन्न कर हड़ताल कर रहे हैं।वही अन्य प्रभावितो को मुआवजा से कोई शिकायत नही है।

बता दे कि गाँव के कुछ प्रभावशाली लोग एसईसीएल से करोड़ो का मुआवजा हासिल करने फर्जी मकान तैयार कर लिए थे,सर्वे के दौरान इनका मुआवजा करोड़ो रूपये का बन रहा था,लेकिन राजस्व विभाग के भ्रस्ट नोकरशाहो के कारनामो से यह पूरा खेला उजागर हो गया और मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगा।इस पूरे मामले की जानकारी जिला कलेक्टर को सौपी गई,जहां कलेक्टर ने निष्पक्ष जांच का हवाला दिया था।अनुमान लगाया जा रहा है कि जांच में हड़ताली प्रभावितों के मुआवजे में गड़बड़ी उजागर हुई होगी ,लिहाजा इनका मुआवजा रोक दिया गया है।

यह बताना लाजमी होगा कि जिला कलेक्टर से की गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने जिक्र किया था कि गाँव के कुछ प्रभावशाली लोग राजस्व व एसईसीएल के नोकरशाहो कि मिलीभगत से फर्जी मकान तैयार कर करोड़ो रूपये का मुआवजा लेना चाह रहे थे।इनके द्वारा वनभूमि पर कब्जा कर षड्यंत्र रूपी मकान तैयार किये गए थे।इनके मुआवजा से एसईसीएल को करोड़ो का नुकसान हो रहा है।शिकायतकर्ता के शिकायत में इस बात का जिक्र भी है कि तत्कालीन तहसीलदार ने सर्वे रिपोर्ट में संदेह भांपते हुए पुनः भौतिक सत्यापन की बात कही थी,लेकिन भौतिक सत्यापन के नाम पर महज खानापूर्ति कर ली गई और मेजरमेंट बुक में फर्जी मुआवजा धारियों का करोड़ो रुपए का मुआवजा बना दिया गया।एसईसीएल के अधिकारियों व राजस्व विभाग को फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने वाले प्रभावितों की निष्पक्ष जांच व भौतिक सत्यापन कर मुआवजा देने की आवश्यकता है, ताकि एसईसीएल को करोड़ो का नुकसान ना हो तथा फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने वालो की जांच हो।

मुआवजे में राजस्व विभाग के नोकरशाहो की तगड़ी मिलीभगत..?

रलिया के प्रभावशाली लोगों का मुआवजा यू ही करोड़ों में तैयार नहीं हुआ है।इसके पीछे राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की तगड़ी साजिश है..? जिन्होंने वनभूमि पर काबिज मकानों का मुआवजा करोड़ो में तैयार कर दिया.? ये हम नही कह रहे,ये तो राजस्व विभाग के नोकरशाहो के कारनामो से जगजाहिर हुआ है।दरअसल मुआवजा सर्वे रिपोर्ट को लेकर कटघोरा के तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ने रिपोर्ट को सही नही मानते हुए कुछ प्रभावशाली लोगों के मुआवजे पर रोक लगा दी थी।वहीं इनके रोक लगाने पर इनका तबादला हो गया था,मजे की बात तो ये है कि इनके तबादले बाद आये अधिकारी ने तो इनके आदेश को दरकिनार कर प्रभावशाली लोगों का नाम मुआवजा सूची में तय कर दिया।एक बात समझ से परे है जब तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ने मुआवजे पर रोक लगाई थी तो सेम रेंक के अधिकारी ने बिना जांच किये किस आधार पर रोक लगाये गए लोगो के नाम मुआवजा सूची में जुड़ गए..? जब इस मामले के गड़बड़ झाले की शिकायत जिलाधीश तक पहुची तो,तत्काल एसडीएम का ट्रांसफर हो गया,जहां इनके स्थान पर डिप्टी कलेक्टर ने पदभार संभाला।सूत्र बताते हैं कि डिप्टी कलेक्टर के पदभार संभालने के बाद बड़ा खेला शुरू हो गया..? तत्कालीन अधिकारी भले अपने मनसूबों में कामयाब नही हो पाए,लेकिन सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी अनुसार मौजूदा एसडीएम ने उन प्रभावशाली लोगों के मुआवजे पर रोक लगा दी..? जो शुरू से संदेहास्पद थे।रोक लगते ही मुआवजा धारियों में हड़कंप मच गया और हड़ताल करने आमादा हो गए।वही विश्वस्त सूत्रों से बया है कि मौजूदा एसडीएम व तत्कालीन एसडीएम की तगड़ी साठगांठ से फर्जी मुआवजा धारी प्रभावशाली लोगों का मुआवजा जल्द तय हो सकता है..?

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