पोड़ी उपरोड़ा: कलेक्टर के नाक तले तहसीलदार की मनमानी! शासकीय भूमि पर धड़ल्ले से हो रहा अवैध कब्जा, कार्रवाई शून्य
पोड़ी उपरोड़ा/रामपुर।
एक ओर जिला कलेक्टर शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तहसीलदार विनय देवांगन के कार्यकाल में उनके आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। तहसील पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम पंचायत रामपुर में शासकीय वन भूमि पर बेजा कब्जे का खेल खुलेआम जारी है, लेकिन तहसीलदार महोदय इस पर कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बने हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, अवैध कब्जाधारी न सिर्फ स्थानीय हैं, बल्कि बाहरी लोग भी इसमें शामिल हैं जो शासकीय जमीन पर मकान बनाकर स्थायी रूप से बस गए हैं। आरोप है कि तहसीलदार को इन कब्जों की पूरी जानकारी है, इसके बावजूद वे किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई करने से बच रहे हैं। जब भी कोई शिकायत उनके पास पहुंचती है, तो वे महज़ खानापूर्ति तक सीमित रहते हैं।
पूर्व तहसीलदार के. के. लहरे के कार्यकाल में ऐसी ही शिकायतों पर बुलडोजर चलवाकर अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया था। लेकिन वर्तमान तहसीलदार की चुप्पी सवाल खड़े करती है — क्या वे राजनीतिक दबाव में हैं या फिर आर्थिक लाभ के कारण कब्जाधारियों को संरक्षण दे रहे हैं?
ग्राम पंचायत रामपुर में कोटवार द्वारा की गई शिकायतों पर भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। तहसील कोर्ट में नोटिस मिलने पर कब्जाधारी एक ही जवाब दोहराते हैं — “हमारी जमीन जलाशय में डूब गई थी, सरकार ने बसाहट दी है।” जबकि सच्चाई यह है कि ये लोग पहले से ही बड़े रकबे पर शासकीय भूमि पर काबिज हैं। उनके पास पर्याप्त निजी संपत्ति है, लेकिन शासकीय संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
नेशनल हाईवे के किनारे हो रहे अवैध कब्जे ना सिर्फ गैरकानूनी हैं, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत खतरनाक हैं। कोई भी बड़ा हादसा कभी भी घट सकता है। ऐसे में यदि भविष्य में कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा।
अब देखना यह है कि तहसीलदार विनय देवांगन कब तक आंखें मूंदे रहते हैं। क्या वे शासन के आदेशों का पालन करते हुए बेजा कब्जाधारियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे या फिर संरक्षण देना जारी रखेंगे? जनता जवाब चाहती है।