कोरबा रलिया मुआवजा मामला:शासकीय भूमि पर बने मकानों का मुआवजा करोड़ो में..? राजस्व विभाग के नोकरशाहो का कारनामा..? एसडीएम सरोज महिलांगे व रोहित सिंह की भूमिका संदेहास्पद..?
कोरबा/रलिया:-एसईसीएल गेवरा परियोजना द्वारा खदान विस्तार हेतु रलिया में भू अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है जिसके तहत प्रभावितों का मुआवजा तय किया गया है।उक्त मुआवजा प्रभावितों के भूमि मकान बाड़ी के सर्वे रिपोर्ट अनुसार तैयार किया गया है।मुआवजा को लेकर रलिया के कुछ ग्रामीण अंसतुष्ट रहे जिन्होने मुआवजा राशि को लेकर तत्कालीन एसडीएम के समक्ष शिकायत पेश की थी तथा शासकीय भूमि पर किये गए अवैध अतिक्रमण के सम्बंध में भी जानकारी दी थी। शिकायतो के आधार पर तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह ने हल्का पटवारी ओमप्रकाश प्रधान को आदेश देकर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा था।पटवारी के जांच रिपोर्ट में स्पष्ट पाया गया कि शासकीय भूमि पर प्रभावशाली लोगों के मकान बने हैं, लिहाजा प्रभावशाली लोगों के मुआवजे पर एसडीएम ऋचा सिंह ने रोक लगाई थी।
तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह के आदेश पर पटवारी हल्का 51 रानिम दीपका के पटवारी ओम प्रकाश प्रधान द्वारा दिनांक 27/10/2023 को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी,जिसमे स्पष्ट उल्लेख है कि गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों के द्वारा शासकीय मद की वनभूमि पर मुआवजा पाने बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण कर अपने रिश्तेदारों के नाम पर दुकान मकान बनाकर कब्जा किया गया है।पटवारी रिपोर्ट अनुसार तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह ने इनके मुआवजा पर रोक लगा दी थी।रोक लगने से प्रभावशाली लोगों को बड़ा नुकसान नजर आने लगा,लिहाजा इन्होंने ऋचा सिंह को हटाने की मंशा जाहिर कर राजनैतिक सहारा लिया ।फिर क्या था कुछ समय बाद तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह का स्थानांतरण हो गया था, इनके स्थानांतरण को लेकर साजिश की आशंका भी जताई जा रही है.?
इनके तबादले बाद कटघोरा एसडीएम का पदभार सरोज महिलांगे ने संभाला और वही से मुआवजा घोटाले का कथित ‘खेला’ शुरू हुआ।तत्कालीन एसडीएम ने जिन प्रभावशाली लोगों के मुआवजे पर रोक लगाई थी,सरोज महिलांगे के कार्यकाल में उनका मुआवजा बन गया और एम बी बुक में इनका मुआवजा करोड़ो में आंका गया।आखिर यह कैसे संभव हुआ..? एसडीएम सरोज महिलांगे ने शासकीय भूमि पर बने मकानों का मुआवजा किस बुनियाद पर तय कर दिया..? जबकि तत्कालीन एसडीएम ने ईमानदारी पूर्वक शासकीय भूमि पर किये गए अवैध अतिक्रमण की जांच कराकर मुआवजा पर रोक लगाई थी।वही एसडीएम सरोज महिलांगे द्वारा किस तरह की जांच कराई गई कि उनका मुआवजा करोड़ो रूपये का बन गया..? सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे 40 परसेंट का बड़ा खेला है, प्रभावशाली लोगों का षड्यंत्र रूपी मुआवजा तय करने पर एसडीएम सरोज महिलांगे को 40 प्रतिशत जाना था।लेकिन ये अपने मनसूबों में कामयाब हो पाते पूरा माजरा मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगा।
जब ये पूरा माजरा मीडिया तक पहुँचा तो इस खेल का भंडाफोड़ हो गया और विभाग के कारनामे गलियारों में गूंजने लगे।पूरे माजरे की जानकारी जिला कलेक्टर कार्यालय तक पहुची,कलेक्टर अजित वसंत ने निष्पक्ष जांच के आदेश दिए,कलेक्टर आदेश बाद जांच का शिलशिला शुरू हुआ,पूरे मामले की निष्पक्ष जांच शुरू हुई। जांच टीम गठित कर जांच प्रारंभ कराई,पूरे मामले में मजे की बात यह रही कि जांच टीम ने 1412 मकानों का भौतिक सत्यापन महज एक सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया,जबकि उक्त मकानों का मूल सर्वे में सालों में लग गए थे,जांच पूरी होते ही सभी प्रभावितों का मुआवजा तय हो गया वही एक बात समझ से परे रही,तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह ने जिन प्रभावितों के मुआवजे पर रोक लगाई थी,उनका मुआवजा किस आधार पर तय हुआ,आखिर जांच में कौन से तथ्य एसडीएम सरोज महिलांगे के हाथ लग गए जो इन्होने शासकीय भूमि पर मौजूद मकानों का मुआवजा करोड़ो रूपये में तय कर दिया..?
यही से एसडीएम सरोज महिलांगे की भूमिका संदेहास्पद प्रतीत हुई और उनका ट्रांसफर कोरबा हो गया,फिर इनके स्थान पर डिप्टी कलेक्टर रोहित सिंह ने पदभार संभाला,सरोज महिलांगे ने जो खिचड़ी पकाई थी उसमें मक्खी गिर गई और इनके किये कराए पर पानी फिर गया।डिप्टी कलेक्टर रोहित सिंह के पदभार संभालते ही आशा की जा रही थी कि रलिया मुआवजा मामले में स्पष्टता होगी,लेकिन इनके पदभार संभालते ही जांच का दायरा गोपनीय हो गया।कुछ माह तक जांच ठंडे बस्ते में चली गई।कुछ माह बाद सूत्रों के हवाले से खबर आई कि रोहित सिंह ने प्रभावशाली लोगों के मुआवजे पर ब्रेक लगा कर रलिया मुआवजा मामले को नया मोड़ दे दिया है।
रलिया मुआवजे मामले में आखिर चल क्या रहा है जो कभी जांच में मुआवजा धारियों को फर्जी बताकर उनका मुआवजा रोक दिया जाता है तो कभी जांच का हवाला देकर उनका मुआवजा करोड़ो में तय हो जाता है।इस पूरे खेल में राजस्व विभाग के नोकरशाहो व एसईसीएल के भ्रष्ट अधिकारियों की तगड़ी साठगांठ प्रदर्शित होती है, जो जिला कलेक्टर के नाक तले खेला जा रहा है।इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये,ताकि असल प्रभावितों को मुआवजा मिले और सरकारी खजाने की बंदरबांट पर रोक लगे।
40 फीसदी कमीशन का खेला…
विश्वश्त सूत्र बताते हैं कि रलिया के मुआवजे में 40 फीसदी कमीशनखोरी का खेला है।प्रभावशाली लोगों ने अपना मुआवजा बनवाने अधिकारियों से तगड़ी साठगांठ कर 40 प्रतिशत कमीशन तय कर मुआवजा बनवाया है,,जो कि करोड़ो में है।लेकिन एसडीएम सरोज महिलांगे के ट्रांसफर ने प्रभावशालियो के मुआवजे पर पानी फेर दिया।डिप्टी कलेक्टर रोहित सिंह ने पूरा माजरा ही बदल दिया और फिर प्रभावशाली लोगों का मुआवजा रुक गया।
विश्वश्त सूत्रों से ज्ञात है कि एसडीएम सरोज महिलांगे के हस्ताक्षर से मुआवजा तय हुआ है लिहाजा एसडीएम महिलांगे व डिप्टी कलेक्टर रोहित सिंह प्रभावशाली लोगों का मुआवजा तय कर 40 फीसदी कमीशन की राशि पर हाथ साफ करने की योजना बना रहे हैं।इस खेल में एसईसीएल के अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद है।इस पूरे मामले पर जनता की नजरें टिकी हुई है आखिर प्रभावशाली लोगों का मुआवजा बनेगा या नही ? बहरहाल देखना ये है कि जिला के ईमानदार कलेक्टर के नाक तले कमीशनखोरी का ये खेल किस मुकाम तक जाता है।